दो दिन पहले दोस्तों के साथ एक ढाबे पर खाना खाने गया था। खाने से पहले जैसे ही सलाद की प्लेट टेबल पर आई मेरी नजर उस पर पड़ी। मैंने थाली रख कर पीछे मुड़ रहे साथी को रोका और थाली में सलाद न होने की शिकायत की। क्योंकि इसमें नींबू है, इस जवाब ने मुझे हैरान कर दिया। सब्जी के ठेले पर रखा नींबू उठा ले तो सब्जी वाले भाई इतनी तेजी से दिखते हैं कि कोई हेराफेरी नहीं होती। आखिर क्यों न हो, जब एक नींबू का खुदरा भाव 10 से 15 रुपये हो तो एहतियात बरतने की जरूरत है। और जब नींबू चोरी होने लगे तो डर और बढ़ जाता है। वैसे तो बड़े-बुजुर्ग बता रहे हैं कि नींबू इतना महंगा कभी नहीं रहा। मौजूदा समय में बाजार में नींबू का खुदरा भाव 300 रुपये से 350 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर साल 3।17 लाख हेक्टेयर में फैले बगीचों में नींबू की खेती होती है। नींबू के पौधे साल में तीन बार फूल और उतने ही फल देते हैं। 45,000 हेक्टेयर क्षेत्रफल के साथ आंध्र प्रदेश देश का सबसे बड़ा नींबू उत्पादक राज्य है। इसके अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु में भी नींबू की खेती बहुत अच्छी होती है। भारत में लेमनमैन के नाम से मशहूर उत्तर प्रदेश के आनंद मिश्रा का कहना है कि भारत में नींबू की दो कैटेगरी हैं, लेमन और लाइम। छोटी, गोल और पतली चमड़ी वाली कागजजी देश में सबसे अधिक उगाई जाने वाली किस्म है जो नींबू की श्रेणी में आती है।
दूसरी ओर, लाइम श्रेणी में एक गहरा हरा फल है, जिसकी खेती मुख्य रूप से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में व्यापार के लिए की जाती है। कृषि विभाग के अनुसार, भारत में सालाना 37।17 लाख टन से अधिक नींबू का उत्पादन होता है, जिसकी खपत देश में ही होती है। भारत न तो नींबू का आयात करता है और न ही निर्यात करता है। आनंद बताते हैं कि नींबू की खेती के लिए गर्म, मध्यम शुष्क और नम जलवायु सबसे उपयुक्त होती है। अत्यधिक वर्षा के कारण फल रुक जाते हैं। ग्राफ्टिंग द्वारा पौधों को उगाया जाता है। नागपुर में आईसीएआर केंद्रीय साइट्रस अनुसंधान संस्थान (सीसीआरआई) और विभिन्न राज्य कृषि संस्थान अच्छी किस्म उगाते हैं। किसान आमतौर पर एक एकड़ में 210-250 नींबू के पेड़ लगाते हैं और पहली फसल रोपण के लगभग तीन साल बाद आती है। एक पेड़ से औसतन लगभग 1,000-1,500 नींबू पैदा होते हैं। पुणे के सब्जी व्यापारी भगवान साई ने फोन पर बताया कि उनके थोक बाजार में फिलहाल 10 किलो नींबू का एक बैग 1,750 रुपये में बिक रहा है। 10 किलो के बैग में आमतौर पर 350-380 नींबू होते हैं इसलिए एक नींबू की कीमत अब 5 रुपये है। पुणे में एक नींबू का खुदरा मूल्य लगभग 10-15 रुपये है। उन्होंने आगे कहा कि यह इस बाजार में नींबू की अब तक की सबसे अधिक कीमत है और ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि बाजार में नींबू की आवक कम है।
पुणे के बारे में उनका कहना है कि आमतौर पर यहां के बाजार में रोजाना 10 किलो के करीब 3,000 बोरी आते थे। लेकिन अब आवक को मुश्किल से एक हजार बैग मिल रहे हैं। मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता जैसे बाजारों में नींबू का थोक भाव 120 रुपये, 60 रुपये और 180 रुपये प्रति किलो है, जो ठीक एक महीने पहले 100 रुपये, 40 रुपये और 90 रुपये प्रति किलो था। अब आइए जानते हैं आखिर नींबू के दाम इतने ऊंचे क्यों हो गए हैं। इसके एक नहीं बल्कि कई कारण हैं। इस बारे में हमने कृषि विज्ञान केंद्र, आजमगढ़ के फसल मामलों के विशेषज्ञ आरपी सिंह से बात की। “पिछले साल पूरे देश में मानसून बहुत अच्छा था। लेकिन सितंबर और अक्टूबर के महीनों में बहुत अधिक बारिश हुई और अत्यधिक बारिश ने नींबू के बाग को नुकसान पहुंचाया। अत्यधिक बारिश के कारण पौधे बिल्कुल नहीं फूले। इस फसल को आमतौर पर कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है। लेकिन जब फूल नहीं आए तो जाहिर सी बात है कि उत्पादन प्रभावित हुआ। अगर यह नींबू कोल्ड स्टोर में रखा होता तो कीमत इतनी ज्यादा नहीं होती। वह आगे बताते हैं कि फरवरी के अंत में ही तापमान में वृद्धि हुई थी। इसका असर फसल पर भी पड़ा। छोटे-छोटे फल बागों में ही गिरे। गर्मियों में जब नींबू की मांग सबसे ज्यादा होती है तो दोहरी मार के कारण फसल बाजार में मांग के मुताबिक नहीं पहुंच पाती है। कम आवक के कारण नींबू की कीमतें देश भर में रिकॉर्ड ऊंचाई को पार कर गई हैं।
आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे प्रमुख नींबू उत्पादक राज्यों में तापमान बढ़ने से पैदावार प्रभावित हुई जिससे इसकी कीमतें आसमान छू गईं। वहीं दूसरी ओर पेट्रोल, डीजल और सीएनजी के दाम बढ़ने से लागत में इजाफा हुआ है। माल भाड़ा में बढ़ोतरी भी कीमतों में बढ़ोतरी का एक प्रमुख कारण रहा है। भारत में ईंधन की कीमतें 22 मार्च से लगातार बढ़ रही हैं, जिससे परिवहन लागत में वृद्धि हुई है। सब्जी व्यापारियों का कहना है कि परिवहन लागत बढ़ने से नींबू समेत सभी सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं। नींबू के दाम बढ़ने का एक और कारण आपूर्ति कम होना और मांग ज्यादा होना है। गर्मी के महीनों में नींबू की मांग बहुत अधिक होती है, जिसके कारण कीमतें पहले से ही अधिक होती हैं। हालांकि, चक्रवात के कारण गुजरात में फसलों को हुए नुकसान ने भी स्थिति को और खराब कर दिया। दीसा गुजरात के एक सब्जी व्यापारी प्रवीण भाई माली ने कहा कि प्राकृतिक आपदा के कारण गुजरात में नींबू के दाम बढ़ रहे हैं, जबकि दूसरे राज्यों से आने वाली सब्जियों के दाम माल भाड़े में बढ़ोतरी से महंगे हो गए हैं। अब हर कोई जानना चाहता है कि नींबू के दाम कब कम होंगे। कारोबारियों का कहना है कि इसकी कीमत तुरंत कम नहीं की जाएगी। अब जब अगली फसल बाजार में आएगी तो कीमतों में कमी ही आ सकती है और उसके लिए कम से कम सितंबर, अक्टूबर तक का इंतजार करना होगा। तब तक नींबू के लिए जेब ढीली करनी पड़ेगी।